सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Thursday, June 26, 2014

ईशोपनिषद मन्त्र -१४

विध्यां चा विध्यां च यस्तद्वेदो भयं सह । 
अबविध्यया मृत्युं तीर्त्वा विध्यया मृतमश्नुते II 14 II 

विद्या और अविद्या में बस 
इतना अंतर होता है 
मोक्ष हमेशा इस जीवन के 
तदनंतर ही होता है 

जीवन की भौतिकता को जो 
जीवन में ही जान गए 
ईश्वर  की महती सत्ता को 
समझो वो पहचान गए 

केवल भौतिक ज्ञान अधूरा 
आधा है अध्यात्म भी 
जन्म मृत्यु और मोक्ष से जुडा 
आत्म और परमात्म भी 

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