सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Thursday, June 26, 2014

ईशोपनिषद मन्त्र -११

सम्भूतिं च विनाशं च यस्तद्वेदोभयं सह । 
विनाशेन मृत्युं तीर्त्वा संभूत्यामृतमश्नुते II 11 II 

नहीं निरर्थक ये जग जीवन 
ना ही सृष्टि अपार है 
नर का तन मन पाया हमने 
प्रभु का ही उपकार है 

जीवन के इन भोगों से हम 
जीवन नैया पार करें 
मन में इतना ज्ञान भरा हो 
मृत्यु से भी प्यार करें 

ओजस्वी हो जीवन इतना 
ऐसे अपने कर्म हो 
मोक्ष मिले - उद्देश्य हो इसका 
जीवन का ये धर्म हो   

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