ओम अग्ने नय सुपथा राये अस्मान् विश्वानि देव वयुनानि विद्वान् I
युयोधस्म्ज्जुहराण मेनो भुइष्ठान ते नमः उक्तिं विधेम II
O Agni (fire) ! The effulgent power of the universe ! Lead us all by the path of correctness . O Deva ! You and only you know what is right and good . Help us in fighting out the wicked , evil and sinful deeds out of ourselves . We utter these words with our utmost humbleness , again and again .
हो ज्ञान के भण्डार तुम , हो दिव्य पालनहार तुम
तुम कर्म सबके जानते , धन धान्य के आगार तुम
हम तुच्छ प्राणी विश्व के, हैं हाथ फैलाये खड़े
कर दो सुखी संसार तुम , ऐश्वर्य के भण्डार तुम
तुम कर्म सबके जानते , धन धान्य के आगार तुम
दुर्बुद्धि को हर लीजिये , दुखों से मुक्ति दीजिये
करते हो बेडा पार तुम , हो विश्व के करतार तुम
तुम कर्म सबके जानते , धन धान्य के आगार तुम
युयोधस्म्ज्जुहराण मेनो भुइष्ठान ते नमः उक्तिं विधेम II
( यजुर्वेद ५/३६ ; ४०/१६ ; ७/४३ )
O Agni (fire) ! The effulgent power of the universe ! Lead us all by the path of correctness . O Deva ! You and only you know what is right and good . Help us in fighting out the wicked , evil and sinful deeds out of ourselves . We utter these words with our utmost humbleness , again and again .
हो ज्ञान के भण्डार तुम , हो दिव्य पालनहार तुम
तुम कर्म सबके जानते , धन धान्य के आगार तुम
हम तुच्छ प्राणी विश्व के, हैं हाथ फैलाये खड़े
कर दो सुखी संसार तुम , ऐश्वर्य के भण्डार तुम
तुम कर्म सबके जानते , धन धान्य के आगार तुम
दुर्बुद्धि को हर लीजिये , दुखों से मुक्ति दीजिये
करते हो बेडा पार तुम , हो विश्व के करतार तुम
तुम कर्म सबके जानते , धन धान्य के आगार तुम
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