सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Thursday, June 26, 2014

ईशोपनिषद मन्त्र -१२

अन्धन्तमः प्रविशन्ति ये विध्यामुपासते । 
ततो भूय इव ते तमो य उ विध्यायां रताः   II 12 II 

भौतिकता का ज्ञान जरूरी 
किन्तु नहीं यह अंतिम छोर 
जीवन में आगे बढ़ने को 
यह तो है बस साधन डोर 

ज्ञान शास्त्र का भी आवश्यक 
किन्तु नहीं यह पूरण इष्ट 
चिंतन बढ़ता स्वाध्याय से 
चिंतन से मिलता अभीष्ट 

अंधकार में पड़े हुए वो 
जो भौतिकता तक सीमित 
उससे गहन अँधेरे में वो 
डूबे ग्रंथों में नियमित 


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