सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Thursday, June 26, 2014

ईशोपनिषद मन्त्र -१३

अन्य देवाहु र्विध्याया अन्यदहुरविध्यायाः । 
इति शुश्रुम् धीराणां ये नस्त द्विचचक्षिरे II 13 II  

कुछ कहते - सब कुछ यह जीवन 
जीवन को हर पल  जी लो 
भौतिकता में है सुख सारा 
भौतिकता का रस पी लो !

और कहे कुछ ज्ञानी ऐसे 
यह जीना बेकार है 
ईश्वर  के चिंतन में बस सुख 
मिथ्या सब संसार है 

जीवन की सच्चाई यह है 
दोनों ही तो सुखमय है 
भौतिक सुख के संग संग चिंतन 
ऐसा अगर समन्वय है 

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