सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Monday, June 20, 2011

मधुर वचन

औम जिव्हया अग्रे मधुमे , जिव्हामूले मधुलकं I 
मम इत् अहः ऋतो असः , मम चित्तं उपयासि II 
औम मधुमत् मे निष्क्रमणं मधुमत मे परायणं i 
वाचा वदामि मधुमद भूयासं मधुसन्द्रष्यः II  
अथर्व: १/३४/२ व १/३/३
 
There be honey at the tip of my tongue, abundance of honey at the root of my tongue , honey in my behaviour and my dealings ; come and stay - O Honey , in my heart .
My leaving the home with sweetness, my coming home should be sweet too, and I become as sweet as honey itself in my behaviour .
 
मीठा बोलूँ , मीठा बोलूँ , जब भी बोलूँ , मीठा बोलूँ
 
जिव्हा पे हो मेरे मधुकण . मीठा बोले वाणी हर क्षण 
मीठा हो हर काम मेरा,  प्रभु , मन में मिश्री घोलूँ 
 
घर से निकलूँ मीठा कहते , घर फिर लौटूं मीठा कहते
इतना मीठा जीवन हो कि , मैं मधु जैसा हो 

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