सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Saturday, June 15, 2013

ईशावास्योपनिषद मन्त्र -3



असूर्या नाम ते लोका अन्धेन तम्सवृताः । 
तान्स्ते प्रेत्यापि गछ्छन्ति ये के चात्महनो जनाः  II 3 II  


Those who kill their conscience are destined to go into the blind dark world of Asurya-loka – the region without any sun and its light and energy.



मार कर जो व्यक्ति अंतरात्मा 
भूल जाते देखता परमात्मा 
जान कर भी कर रहे दुष्कर्म जो 
असुर नर पिशाच सा अधर्म जो 

जिनकी कथनी और करनी भिन्न है 
उनसे खुशियाँ मन की रहती खिन्न है 
वो अविद्या के तिमिर में धंस रहे 
मूर्खता अज्ञान में है फंस रहे 

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