सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Sunday, August 15, 2010

शांति पाठ

ओम ध्ह्यो: शान्तिः आन्तरिक्षम शान्तिः पृथिवी शान्तिः आपः शान्तिः औषधयः शान्तिः वनस्पतयः शान्तिः विश्वेदेवाः शान्ति-ब्रह्मः शान्तिः सर्वं शान्तिः सा मा शान्तिः एधि । ओम शान्तिः शान्तिः शान्तिः ओम । - यजुर्वेद


May the sky give peace to me !May the air give peace to me ! May the earth give peace to me ! May the vegetation and herbs give peace to me ! May all divines give peace to me ! May Brahma give peace to me ! May the Universe give peace to me ! May the Peace come to me from every quarter !



शांति दीजिये , शांति दीजिये
जल से  थल से , शांति दीजिये


शांति दीजिये अंतरिक्ष से
शांति दीजिये वन्य वृक्ष से


शांति औषध से मिले प्रभु
और बनस्पति से मिले प्रभु


शांति सब ब्रह्माण्ड में हो
शांति जीवन कांड में हो

9 comments:

  1. सबसे पहले मैं आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहूंगा वेदों का ज्ञान बांटने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद
    इसी तरह लिखते रहिए और अपने ब्लॉग को आसमान की उचाईयों तक पहुचइये मेरी यही शुभकामनाएं है आपके साथ
    हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    मालीगांव
    साया
    आपकी पोस्ट यहा इस लिंक पर भी पर भी उपलब्ध है। देखने के लिए क्लिक करें
    लक्ष्य

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुंदर मंत्र है ये !

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुंदर मंत्र है ये !

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुन्दर व शांतीदायक है यह मंत्र एसे ही वेदो का ग्यान बाटते रहे । धन्यावाद।

    ReplyDelete
  5. बहुत ही सुन्दर व शांतीदायक है यह मंत्र एसे ही वेदो का ग्यान बाटते रहे । धन्यावाद।

    ReplyDelete
  6. सचमुच में वेदों से उद्धृत यह शान्ति मंत्र लोकहित के लिए है। हमलोगों का सनातन धर्म सम्पूर्ण व्रह्माण्ड के हित के लिए वर्णित है। इसका एक उदाहरण इस मंत्र से भी...
    सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः
    सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मां कश्चित् दुःख भागभवेत्।

    ReplyDelete
  7. ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,
    पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
    वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,
    सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥
    ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

    ReplyDelete