सुधी पाठकों ! वेद-सार में संस्कृत में लिखे मंत्र वेदों और वेदों पर आधारित पुस्तकों से लिए गए हैं .फिर भी ट्रांस लिट्रेसन के कारण छोटी मोटी त्रुटि संभव है . वेद मन्त्रों के अर्थ संस्कृत के बड़े बड़े विद्वानों द्वारा किये गए अर्थ का ही अंग्रेजीकरण है . हिंदी की कविता मेरा अपना भाव है जो शब्दशः अनुवाद न होकर काव्यात्मक रूप से किया गया भावानुवाद है . इस लिए पाठक इस ब्लॉग को ज्ञान वर्धन का साधन मानकर ही आस्वादन करें . हार्दिक स्वागत और धन्यवाद .



Thursday, November 24, 2011

सरस्वती उपासना


औम् पावक नः सरस्वती याजेभिर्वाजिनीवती यज्ञं वष्टु धिया वसुः !!
औम् चोदयितृ सूनृतानाम्  चेतयति सुनतीनाम ! यज्ञं दधे सरस्वती !!
औम् अहो अर्णः सरस्वती प्रचेतयति केतुना ! धियो विश्वास विराजति !! 
- यजु : २०/८४ 

Saraswati , the goddess of knowledge, the purifier, Great in her power of knowledge , with intellect as her treasure may grace our knowledge !
Inspirer of truthful and sweet speech, instigator of excellent thoughts, may Saraswati uphold our dedicated life of sacrifice!
Sarswati is like a great ocean of knowledge. Whatever we know is an iota of the immeasurable knowledge existing in the world. Our knowledge is worthy only due to being a part of universal knowledge !

हे सरस्वती ज्ञान की देवी 
बुद्धि की विज्ञान की देवी
दान विद्या का हमें दे दो 
तू है विद्या दान की देवी 

प्रेरणा दो, बुद्धि दो हमको 
चेतना में वृद्धि दो हमको 
विद्वता सन्मान की देवी 
हे सरस्वती ज्ञान की देवी

बूँद जितना ज्ञान है मेरा 
जलधि सा भण्डार है तेरा 
ज्ञान गुण की खान की देवी  
हे सरस्वती ज्ञान की देवी

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