अग्ने नये सुपथा
राये अस्मान्विश्वानि देव वयुनानि विद्वान् ।
युयोध्यस्म्ज्जुहुराणमेनो
भूयिष्ठां ते नम उक्तिं विधेम II 16 II
हो ज्ञान के
भण्डार तुम ,
हो दिव्य
पालनहार तुम
तुम कर्म सबके
जानते ,
धन धान्य के
आगार तुम
हम तुच्छ प्राणी
विश्व के ,
हैं हाथ फैलाये
खड़े
कर दो सुखी
संसार तुम ,
ऐश्वर्य के
भण्डार तुम
दुर्बुद्धि को
हर लीजिये ,
दुखों से मुक्ति
दीजिये
करते हो बेडा
पार तुम ,
हो विश्व के
करतार तुम
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