अन्य देवाहु
र्विध्याया अन्यदहुरविध्यायाः ।
इति शुश्रुम्
धीराणां ये नस्त द्विचचक्षिरे II 13 II
कुछ कहते - सब
कुछ यह जीवन
जीवन को हर पल जी लो
भौतिकता में है
सुख सारा
भौतिकता का रस
पी लो !
और कहे कुछ
ज्ञानी ऐसे
यह जीना बेकार
है
ईश्वर के
चिंतन में बस सुख
मिथ्या सब संसार
है
जीवन की सच्चाई
यह है
दोनों ही तो
सुखमय है
भौतिक सुख के
संग संग चिंतन
ऐसा अगर समन्वय है
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