अनेजदेकम् मनसो जवीयो नैनद्दवा आप्नुवन्
पूर्वमर्षत् ।
तध्दावतो न्यानतेति तिष्ठ्त्त
स्मन्न्पो मातरिश्वा दधाति II 4 II
He,
the Supreme Lord does not move, yet he
is faster than even mind; he can never be felt by human senses because he is
way ahead of their capabilities; he remains static yet he overtakes all those
sprinters with great speeds; only the soul can get the knowledge of all his
actions with their efforts.
तीव्र है गति आँधियों की , तीव्रतर तूफ़ान
तीव्रतम मन - ईश पर , उससे भी वेगवान
वह खड़ा भी भागता है , भागता भी खड़ा
इन्द्रियां करती न अनुभव , इन्द्रियों से बड़ा
जल है भारी , वायु हलकी ,
फिर भी है बादल
वायु को सामर्थ्य देता , बादलों को जल
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