कुर्वन् एव इह कर्माणि जिजीविषेत् शतं समाः I
एवं त्वयि न अन्यथा अस्ति , न कर्म लिप्यते नरे II
(यजु. ४०/२)
O man ! You wish to live for a
hundred years by doing work ; but without attachment. Thus alone , and not
otherwise, do your deeds. There is no other better way to live this life .
कर्म करता कर चल सदा , सोच मत तू फल सदा
सौ बरस के यज्ञ में , बन के हविषा जल सदा
कर्म के बिन कुछ नहीं , कर्म बिन तू कुछ नहीं
कर्म के बिन रास्ता ,
बन गया दलदल सदा
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