औम् उत्तेदानी भगवन्तः स्याम उत प्रपित्व उत मध्ये अन्हां !
उतोदिता मघवन्त सूर्यस्य वयं देवानां सुमतौ स्याम !!
यजु - ३४/३७
May we , now while praying to you, be in the divine blessing ; in the middle of the day also we may be in the divine blessing ; and the next day also when the sun rises your blessings may continue for us . May we be your loved ones and the blessed ones at all times .
तेरी कृपा से दिन नया , कैसा उगा कैसा खिला
वैसी कृपा हम पर भी कर , सौभाग्य के दीपक जला
जब दिन का अगला पहर हो , और तप्त ये दोपहर हो
तेरी दया की दृष्टी से . भीगे हमारा काफिला
फिर दिन ढले फिर रात हो , फिर एक नया प्रभात हो
फिर आपकी कृपा मिले , चलता रहे ये सिलसिला
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