औम् न मृत्युः आसीत् अमृतं न तर्हि , न रात्र्याः अन्हः आसीत् प्रकेतः !
आनोत् अवातं स्वधया तत् एकम् , तस्मात ह अन्यत् न परः किन्चन आस !!
ऋग्वेद १०/१२९/२
There was neither death nor immortality then ; there was no sign of night nor of day . That one breathed without extraneous breath with his own nature . Other than him there was nothing beyond. There was no concept of time as there was no day or night. He and he alone was present then.
कौन था ! कौन था ! कौन था !
कौन था किसने रचाया ये जगत
कौन था किसने बनाया सृष्टि को
न जनम था , न मरण था
जीव के बिन क्या चरण था
कौन था किसने बनायी योनियाँ
न दिवस था रात थी ना
समय नामक बात थी ना
कौन था किसने चलाया चक्र ये
आज था ना , ना कोई कल
ना भविष्य और वर्तमान
कौन था किसने बनाये काल सब
महॊदय नमांसि ।
ReplyDeleteभवतः ब्लाग् / वेब् सैट् पृष्ठं संस्कृतवाण्यां (The unique Sanskrit aggregator)संयॊजितं इति वक्तुं संतॊषं प्रकटयामि । तदत्र निम्नॊक्तप्रदॆशॆ द्रष्टुं शक्यतॆ
http://sanskritcentral.com/aggregator/sources
अन्यदपि मॆ विज्ञापनं यद्भवतां ब्लाग् / वेब् सैट् पृष्ठॆ अस्माकं संस्कृतवाण्याः ( http://sanskritcentral.com/node/2 प्रदॆशॆ लभॆत् ) चित्रं यथाशक्ति प्रकटीकुर्युः यॆन वयं धन्याः, कृतज्ञाश्च भवॆम ।
संस्कृतवाणी कृतॆ -
पाण्डुरङ्गशर्मा रामकः
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संस्कृतवाणी
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बहुत अच्छा काव्यानुवाद, अति सुंदर। हार्दिक बधाई!
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